कभी‑कभी ज़िंदगी ऐसी बात कह जाती है जो शब्दों में बयां नहीं होती, पर Takleef Shayari उसे एहसास बना देती है जो सीधा दिल में उतर जाए। यहां Life Shayari Read पर, हम हर एक शायरी को अपने अनुभव और जज़्बात से जोड़ते हैं — ताकि हर पाठक खुद को इन लफ़्ज़ों में पा सके।
Takleef Shayari | तकलीफ़ शायरी
ग़मों की अंजुमन में बस एक मुसाफ़िर हैं हम,
जिसे मंज़िल न मिली, वही तो काफ़िर हैं हम।
ये शब-ए-फ़िराक़ की तारेकी कब हटेगी,
ज़िंदगी क़तरा क़तरा अब यूँ ही कटेगी।
मेरे नसीब की सियाही तो देखिए,
हर ख़्वाब के मुक़द्दर में है तबाही, देखिए।
हमने तो सदियों से फ़क़त ज़ख़्म ही पाले हैं,
लोग कहते हैं, तेरे हाथ बड़े काले हैं।
तेरी फ़ुरक़त में जो गुज़री, वही क़यामत ही तो थी,
ज़िंदा रहना भी हम पर एक नादामत ही तो थी।
अब दावा क्या, दुआ क्या, और तबीबों का काम क्या,
जब इश्क़ ही क़ातिल हो तो उसका अंजाम क्या।
हर नफ़स एक नया इम्तिहान मांगता है,
दिल-ए-नादान भी जीने का सामान मांगता है।
वो जो कहते थे, तुम बिन एक पल न रहेंगे,
आज हमारी मौत पर भी चुप ही रहेंगे।
मेरी बरबादियों का तुम जश्न मना लेना,
अपनी मेहँदी में रंग मेरे लहू का मिला लेना।
अश्कों का समंदर है, और साहिल भी नहीं है,
इस दर्द के मारे हम, जीने के क़ाबिल भी नहीं हैं।
एक उम्र से सीने में ये हसरत लिए बैठे हैं,
वो आएंगे मिलने, ये ग़लत-फ़हमी लिए बैठे हैं।
तेरी यादों की शमा अब तक बुझी नहीं है,
इस दिल-ए-वेरान में कोई और खुशी नहीं है।
हमने तो अपनी रूह तक उन पर निस्सार कर दी,
उन्होंने हमारी वफ़ा ही शर्मसार कर दी।
ये जो हालत है मेरी, सब उनकी इनायत है,
वरना जीने की हमें भी कभी आदत है।
मेरे ज़ख़्मों की नुमाइश सर-ए-बाज़ार न कर,
ऐ ज़िंदगी, मुझे इतना भी तू लाचार न कर।
उनके क़दमों के निशान भी अब तो मिलते नहीं,
हम वो फूल हैं जो खिल कर भी खिलते नहीं।
हर शख़्स यहाँ अपने ही अफ़साने में गुम है,
मेरा दर्द सुनेगा कौन, ये भी एक ग़म है।
वो बे-नियाज़ी से गुज़रे, हमें देखा तक नहीं,
हमने तो उनके लिए कोई पर्दा रखा तक नहीं।
अब तो तन्हाई ही मेरी महबूबा लगती है,
हर खुशी इस दिल को एक धोखा लगती है।
मेरे जनाज़े पे रोने वालों की कमी न होगी,
बस एक वो न होंगे, जिनकी आँखों में नमी न होगी।
क्या खबर थी के इश्क़ का ये अंजाम होगा,
मेरा नाम उनके लबों पर बस एक इल्ज़ाम होगा।
हमने तो पत्थरों से भी वफ़ा की उम्मीद रखी,
इंसानों की बस्ती में ये कैसी तबाही देखी।
अब तो सांसों का बोझ भी उठाया नहीं जाता,
एक पल भी सुकून से बिताया नहीं जाता।
उनकी महफ़िल में हम गए थे ज़ख़्म दिखाने,
लोगों ने वाह वाह की, लगे शेर सुनाने।
ये जो सिलसिला है दर्द का, ये रुकता क्यों नहीं,
मैं सबके आगे झुक गया, ग़म झुकता क्यों नहीं।
मेरी खामोशियों में भी एक शोर-ए-महशर है,
हर तरफ़ बस तेरी यादों का ही मंज़र है।
वो हमसे दूर रह कर भी कितने आबाद हैं,
और हम उनके पास रह कर भी बर्बाद हैं।
अब तो आलम ये है के नींद भी आती नहीं,
तेरी याद है के इस दिल से जाती नहीं।
हमने तो अपनी हस्ती को उन पर फ़ना कर दिया,
उन्होंने हमें ही एक क़िस्सा-ए-परीना कर दिया।
इस क़दर टूटे हैं के अब जुड़ना मुहाल है,
ज़िंदा हैं, बस यही एक बड़ा सवाल है।
तो दोस्तों, उम्मीद है कि यहां दी गई Takleef Shayari ने आपके दिल की अनकही बातों को आवाज़ दी होगी। चाहे वह पुरानी यादों का बोझ हो, किसी का खो जाना हो, या प्यार में हुआ वह खालीपन — अब आपके पास हर एहसास को बयां करने के लिए सही शायरी है।
आख़िरकार, दिल की बात कहने का भी अपना एक अंदाज़ होता है… और हम चाहते हैं कि आप उस अंदाज़ में माहिर बनें।
तो अब देर किस बात की? अपनी पसंद की शायरी चुनिए, सोशल मीडिया पर पोस्ट करिए और देखिए कैसे शब्द लाइक्स, कॉमेंट्स और दिलों में जगह बना लेते हैं।
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