Jaun Elia Shayari सिर्फ लफ़्ज़ नहीं, बल्कि एहसास हैं — वो एहसास जो हर मोहब्बत करने वाले, हर तन्हा रूह, और हर सोचने वाले दिल ने महसूस किए हैं।
तो चलो, जॉन एलिया की रूहानी Shayari के इस सफ़र में हमारे साथ हो जाओ और शायरी की असली दुनिया में खो जाओ…
Jaun Elia Shayari – एक कलम से

मैं भी बहुत अजीब हूँ, इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं।
ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहाँ में क्या।
मैं जो हूँ ‘जौन-एलिया’ हूँ जनाब
इस का बेहद लिहाज़ कीजिएगा।

यूँ जो तकता है आसमान को तू
कोई रहता है आसमान में क्या।
कितनी दिलकश हो तुम, कितना दिल-जु हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएंगे।
सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं।

ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में।
किस लिए देखती हो आइना
तुम तो खुद से भी खूबसूरत हो।
कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है।

बहुत नज़दीक आती जा रही हो
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या।
क्या सितम है कि अब तेरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है।
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया।

वो जो न आने वाला है न उससे मुझ को मतलब था
आने वालों से क्या मतलब, आते हैं, आएंगे।
क्या तक़ल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी खुश है हम उससे जलते हैं।
क्या कहा, इश्क़ ज़ावेदानी है!
आख़िरी बार मिल रही हो क्या?

मुस्तकिल बोलता ही रहता हूँ
कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से।
हम को यारों ने याद भी न रखा
‘जौन’ यारों के यार थे हम तो।
मुझे अब तुम से डर लगने लगा है
तुम्हें मुझ से मोहब्बत हो गई क्या?

सोचता हूँ कि उसकी याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है।
यारो कुछ तो ज़िक्र करो, तुम उसकी क़यामत बांहों का
वो जो सिमटते होंगे उनमें वो तो मर जाते होंगे।
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाए
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने।

एक ही हादसा तो है और वो ये कि आज तक
बात नहीं कही गई, बात नहीं सुनी गई।
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं।
और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं।

दिल की तकलीफ कम नहीं करते
अब कोई शिकवा हम नहीं करते।
अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या?
बिन तुम्हारे कभी नहीं आई
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है?

ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गंवाने का।
हासिल-ए-क़ुन है ये जहाँ-ए-ख़राब
यही मुमकिन था इतनी उज्लत में।
तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इज़ाज़त हो
मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इज़ाज़त हो।
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तो दोस्तो, उम्मीद है कि Jaun Elia Shayari का ये सफ़र तुम्हें उतना ही छू गया होगा जितना हमें इसे लिखते समय महसूस हुआ।
जॉन एलिया की शायरी यूँ ही नहीं दिलों में बस जाती — इसमें दर्द, मोहब्बत और फ़लसफ़ा तीनों का संगम है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. Jaun Elia Shayari इतनी मशहूर क्यों है?
जॉन एलिया की शायरी उनके अनोखे अंदाज़, गहरी सोच और दर्द भरे जज़्बातों के कारण मशहूर है। उनके अल्फ़ाज़ लोगों के दिलों को सीधा छू जाते हैं।
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